Bakhedapur
view cart- 0 customer review
Bakhedapur
Number of Pages : 130
Published In : 2015
Available In : Hardbound
ISBN : 978-93-263-5279-6
Author: Hare Prakash Upadhyay
Overview
बखेड़ापुर में जो गाँव 'बखेड़ापुर’ है उसके जरिए हरे प्रकाश उपाध्याय भारतीय गाँव की जीवन्त, दिलचस्प और अर्थपूर्ण दास्तान सुनाते हैं और इस प्रक्रिया में यथार्थ की बहुल और बहुस्तरीय छवियाँ अपने समूचे मर्म के साथ उजागर होने लगती हैं। हरे प्रकाश उपाध्याय का हुनर यह है कि वह बखेड़ापुर में जीवन की विलक्षणताओं, नाटकीयता, उदात्तताओं से परहेज करते हैं; वह जीवन की साधारणता में ही वैशिष्ट्य और औत्सुक्य का रसायन पैदा कर देते हैं। सम्भवत: हमारे मुद्रित संसार की यही सार्थक $िकस्सागोई है। बखेड़ापुर इसीलिए खास है, क्योंकि यहाँ मामूली जन के सिमटे, धूसर और मन्थर यथार्थ को व्यापक, तीखे और गत्यात्मक राजनीतिक सरोकार इस उपन्यास में जीवन की उष्मा पाकर चमकते हैं। बखेड़ापुर में बहुत सारे चरित्र हैं लेकिन जैसे ही कोई पात्र ज़्यादा वर्चस्व दिखाने लगता है, उसे धकेलते हुए दूसरा आ जाता है। इस प्रकार बखेड़ापुर प्रमुख लोगों की नहीं बहुत सारे लोगों की गाथा है। इस तरह भी कि बखेड़ापुर का केन्द्रीय चरित्र स्वयं बखेड़ापुर है।
Price Rs 170/-
Rates Are Subjected To Change Without Prior Information.
Add a Review
Your Rating
You May also like this
Oh, These Rehnumas!
The focal leitmotif of the novel Oh, These Rehnumas! is to bring out the representative voices o
Aadhunik Hindi Gadya Sahitya Ka Vikas Aur Vishleshan
प्रख्यात आलोचक विजय मोहन ङ्क्षसह की
Kaatna Shami Ka Vriksha Padma-Pankhuri Ki Dhar Se
काटना शमी का वृक्ष पद्मपखुरी की धार स