एक प्रबुद्ध, स्वतंत्र और बेबाक पत्रकार एवं व्यंग्यकार। जन्म 21 मई, 1931 को उज्जैन (म.प्र.) में। शिक्षा मध्य प्रदेश के कई विद्यालयों में हुई। पत्रकारिता, आकाशवाणी और सरकारी नौकरी के बाद उन्होंने लेखन को ही अपना जीवन बना लिया। प्रमुख कृतियाँ—‘हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे’, ‘रहा किनारे बैठ’, ‘पिछले दिनों’, ‘किसी बहाने’, ‘परिक्रमा’, ‘यथासम्भव’ और ‘यत्र तत्र सर्वत्र’ कुछेक व्यंग्य नाटक भी चर्चित और मंचित हुए। 1989 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से अलंकृत। 5 सितम्बर, 1971 को देहावसान.