विश्वनाथ सत्यनारायण तेलुगु साहित्य में कवि-सम्राठ के नाम से विख्यात जन्म : 1875, नन्दपूर गाँव, कृष्णा जिला, आन्ध्रप्रदेश। शिक्षा : एम.ए. (तेलुगु व संस्कृत) अध्यापक, आचार्य एवं कुछ समय तक एक महाविद्यालय के प्राचार्य. आन्ध्र प्रदेश विधान परिषद् के भूतपूर्व मनोनीत सदस्य। आन्ध्र प्रदेश साहित्य अकादेमी के भूतपूर्व उपाध्यक्ष एवं आजीवन सदस्य रहे। लगभग तीस वर्ष की अपनी अविराम साहित्य-साधना के बल पर समसामयिक तेलुगु साहित्य मंच पर सर्वाधिक प्रतिष्ठित रहे। प्रकाशन : कविता, उपन्यास, नाटक, कहानी, आलोचना आदि विधाओ में सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाशित। इनमें लगभग 60 उपन्यास, 20 काव्य, 4 गीतिकाव्य, 13 नाटक और 7 समालोचना सम्मिलित हैं। प्रमुख कृतियाँ हैं—रामायण कल्पवृक्षमु, शृंगारवीथि, ऋतुसंहारम् (काव्य), वेयपडगलु, एकवीरा, सहस्रफण (उपन्यास), किन्नेरसानिपाटलु और कोकिलम्पा पेण्डिल (गीतकाव्य) तथा अनारकली, नर्तनशाला, वेनराजु (नाटक)। सम्मान : सन् 1964 में आन्ध्र विश्वविद्यालय द्वारा कला-प्रपूर्ण उपाधि से सम्मानित। मध्याक्करलु काव्यकृति के लिए साहित्य अकादेमी पुस्कार तथा रामायण कल्पवृक्षमु के लिए 1970 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित। पद्मभूषण उपाधि से अलंकृत।