जन्म : 1960 चम्पारण (बिहार)। पत्रकारिता में परिचित नाम अरविन्द मोहन चम्पारण के एक गाँधीवादी परिवार से आते हैं। इस परिवार का गाँधी प्रेम गाँधी के चम्पारण पहुँचने के दन से ही शुरू हुआ जो इस किताब तक जारी है। अरविन्द मोहन जनसत्ता, हिन्दुस्तान, इंडिया टुडे, अमर उजाला, सीएसडीएस और एबीपी न्यूज से जुड़े रहे हैं और बाहर भी उन्होंने खूब लिखा और टीका-टिप्पणियाँ की हैं। अपनी पढ़ाई-लिखाई के लिए पहचाने जानेवाले इस लेखक ने कई बार नियमित पत्रकारिता से ब्रेक लेकर कुछ गम्भीर काम किये हैं, जिसमें पंजाब जानेवाले बिहारी मजदूरों की स्थिति का अध्ययन, देश की पारम्परिक जल संचय प्रणालियों पर पुस्तक का सम्पादन और गाँधी के चम्पारण सत्याग्रह पर कुछ और किताबें शामिल हैं। उन्होंने करीब एक दर्जन किताबों का लेखन और सम्पादन किया है और इतनी ही चर्चित किताबों का अनुवाद। कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजे गए अरविन्द दिल्ली विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया समेत कई नामी संस्थानों में मीडिया अध्ययन भी करते हैं। यह किताब महात्मा गाँधी हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा का अतिथि लेखक रहने के दौरान लिखी गयी है।