जन्म 5 अप्रैल 1951 को रामपुर (उप्र) में। अँग्रेजी साहित्य में एम.ए. करने के बाद तीन वर्ष तक स्नातकोत्तर महाविद्यालय में अध्यापन। 1974 में उ.प्र पीसीएस में चयन और वर्ष 1976 से आईपीएस में सेवा। पुलिस महानिदेशक पद से सेवानिवृत्त। विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में लगभग सौ कहानियाँ, लघुकथाएँ, व्यंग्य प्रकाशित। अब तक चार उपन्यास ('चतुरंग’, 'चलो दोस्त सब ठीक है’, 'एक सुबह यह भी’ तथा 'ये इश्क नहीं आसां..’), सात कहानी संग्रह और एक स्मृति आख्यान 'फिर मुझे राहगुजर याद आया’ प्रकाशित। स्त्री विमर्श पर दो पुस्तकों एवं उत्तर समय की प्रेम कहानियों का सम्पादन। कहानी संग्रह 'माटी’ पर विजय वर्मा सम्मान। उप्र हिन्दी संस्थान द्वारा उपन्यास 'चलो दोस्त सब ठीक है’ पर प्रेमचन्द सम्मान एवं 'एक सुबह यह भी’ पर अमृतलाल नागर सम्मान। कथाक्रम पत्रिका पर उ.प्र. हिन्दी संस्थान का सरस्वती सम्मान। वर्ष 2013 में उ.प्र. हिन्दी संस्थान द्वारा 'साहित्य भूषण’ सम्मान से समादृत। 1998 से साहित्यिक त्रैमासिकी 'कथाक्रम’ का नियमित सम्पादन।