Smritiyan Jo Sangini Ban Gayi
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Number of Pages : 264
Published In : 2018
Available In : Hardbound
ISBN : 978-93-87919-02-0
Author: Mridula Sinha
Overview
दरअसल, उन महानुभावों ने भारतीय समाज में पुनर्जागृति लाने के लिए सबसे पहले समाज में नारी की सम्मान दिलाने और इनमें जागृति लाने के लिए शिक्षा के प्रचार-प्रसार को अहमीयत दी थी। उनकी बताई राह पर चलने वाले अन्यान्य लोगों में से एक थे स्व. बृजनन्दन शर्मा। बिहार के भूमि-पुत्र, जो हिन्दी प्रचारिणी सभा के मद्रास में सेवारत रहे। अपनी जन्मभूमि की याद आई और उन्होंने बिहार के समाज के पुनर्जागृति लाकर उन्नत बनाने के लिए बालिकाओं की शिक्षा को प्राथमिकता दी। सैकड़ों एकड़ बंजर पड़ी हुई भूमि का चुनाव किया। जंगल में मंगल की योजना बन डाली। राजनीतिक, सामाजिक,साहित्यिक और शैक्षणिक जीवन से जुड़े बिहार के तत्कालीन जनों में शायद ही कोई बचा हो जिन्हें शर्मा जी, हमारे बाबूजी कने विद्यापीठ के लिए सहयोग देने से वंचित रखा हो। अपनी सहधार्मिनी पत्नी श्रीमती विद्या देवी के तपबल और मनोबल का सहयोग लिए बाबूजी ने देखते-ही-देखते उस मरुभूमि पर बालिकाओं के लिए चन्दा इकट्ठा करने का नहीं वरन मध्यम श्रेणी के अभिभावकों को अपनी लड़कियों को शिक्षित बनाने की प्रेरणा देने तता निर्धन परिवारों से योग्य कन्याओं की बटोरने के लिए भी उनका भ्रमण जारी रहा।
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