जन्म सन्ï 1948, इलाहाबाद में। शिक्षा : एम.ए. (इलाहाबाद विश्वविद्यालय)। हिन्दी, उर्दू, फारसी, अँग्रेजी और पश्तो भाषाओं पर गहरी पकड़ के साथ ही श्रीमती नासिरा शर्मा ईरानी समाज और राजनीति के अलावा संस्कृति, साहित्य और कला-विषयों की विशेषज्ञ हैं। सृजनात्मक लेखन के साथ ही स्वतन्त्र पत्रकारिता भी की है। कृतियाँ : 'सात नदियाँ एक समन्दर’, 'शाल्मली’, 'ठीकरे की मँगनी’, 'जिन्दा मुहावरे’, 'जीरो रोड़’, (उपन्यास); 'शामी कागज’, 'पत्थर गली’, 'संगसार’, 'इब्ने मरियम’, 'सबीना के चालीस चोर’, 'खुदा की वापसी’ (कहानी-संग्रह); 'अफगानिस्तान : बुजकशी का मैदान’ (विचार-अध्ययन, दो खंडों में); 'क्षितिज पार’ (सम्पादन) के अतिरिक्त आठ टेली फिल्मों का लेखन।