"अनामिका अनामिका निबन्ध लिखती हैं, अखबारों और पत्रिकाओं में स्तम्भ लिखती हैं, कहानियाँ और उपन्यास रचती हैं, कविताओं और उपन्यासों का अनुवाद-सम्पादन करती हैं, और अँग्रेजी साहित्य का अध्यापन करती हैं। एक पब्लिक इंटलेक्चुअल के रूप में व्याख्यान देने से लेकर नारीवादी पब्लिक स्फियर में सक्रिय रहने तक वे और भी बहुत कुछ करती हैं। पर, सबसे पहले और सबसे बाद में वे एक कवि हैं। 1961 के उत्तराद्र्ध में मुजफ्फरपुर, बिहार में जनमी और अँग्रेजी साहित्य से पी-एच.डी. अनामिका राजभाषा परिषद पुरस्कार (1987), भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार (1995), साहित्यकार सम्मान (1997), गिरिजाकुमार माथुर सम्मान (1998), परम्परा सम्मान (2001) और साहित्य सेतु सम्मान (2004) से विभूषित हो चुकी हैं। उनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं : आलोचना : पोस्ट एलिएट पोएट्री : अ वॉएज फ्रॉम कांफ्लिक्ट टु आइसोलेशन, डन क्रिटिसिज़्म डाउन दि एजेज़, ट्रीटमेंट ऑव लव ऐंड डेथ इन पोस्ट वार अमेरिकन विमेन पोएट्ïस; विमर्श : स्त्रीत्व का मानचित्र, मन माँजने की जरूरत, पानी जो पत्थर पीता है; कविता : गलत पते की चि_ïी, बीजाक्षर, समय के शहर में, अनुष्टïुप, कविता में औरत, खुरदुरी हथेलियाँ; कहानी : प्रतिनायक; संस्मरण : एक ठो शहर था, एक थे शेक्सपियर, एक थे चाल्र्स डिकेंस, दस द्वारे का पींजरा ; उपन्यास : अवान्तर कथा; अनुवाद : नागमंडल (गिरीश कार्नाड), रिल्के की कविताएँ, एफ्रो-इंग्लिश पोएम्स, अटलांत के आर-पार (समकालीन अँग्रेजी कविता), कहती हैं औरतें (विश्व साहित्य की स्त्रीवादी कविताएँ)। "