आज के हिन्दी साहित्यक परिदृश्य को दूर तक प्रभावित करनेवाले विशिष्ट कवि कुँवर नारायण लगभग आधी सदी से लेखन में सक्रिय हैं। कविता के साथ ही लगातार विभिन्न साहित्यिक, वैचारिक और सांस्कृतिक विषयों पर भी महत्त्वपूर्ण लेखन कर रहे हैं। कई पत्रिकाओं के सम्पादन और विभिन्न सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े रहे हैं। उनकी अनेक कृतियों के भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनुवाद प्रकाशित हो चुके हैं। प्रकाशित कृतियाँ—चक्रव्यूह, परिवेश : हम-तुम, तीसरा सप्तक, अपने सामने, कोई दूसरा नहीं, इन दिनों (कविता-संग्रह)। आत्मजयी (खंड काव्य)। आकारों के आसपास (कहानी-संग्रह)। आज और आज से पहले, मेरे साक्षात्कार, साहित्यस के कुछ अन्तर्विषयक सन्दर्भ (समीक्षा/विचार)। अनेक पुरस्कारों से सम्मानित, जिनमें साहित्य अकादमी पुरस्कार, कुमारन आशान पुरस्कार, व्यास सम्मान, प्रेमचंद पुरस्कार, राष्ट्रीय कबीर सम्मान, शलाका सम्मान, मेडल ऑफ वार्सा यूनिवर्सिटी (पोलैंड) और रोम का अन्तर्राष्ट्रीय 'प्रीमिओ फेरानिआ’शामिल हैं।