ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित और साहित्य अकादेमी की फेलो उर्दू की महान कथाकार कुर्रतुलऐन हैदर को साहित्यिक सृजनात्मकता विरासत में मिली। उनके पिता सज्जाद हैदर यल्दराम और माँ नज़र सज्जाद हैदर दोनों ही उर्दू के विख्यात लेखक थे। लगभग 35 वर्ष पहले उनके क्लासिक उपन्यास 'आग का दरिया’का जिस धूमधाम से स्वागत हुआ था उसकी गूँज आज तक सुनाई पड़ती है। इसके बाद उनके कई उपन्यास और निकले जिनमें उनकी मानवीय संवेदना प्रखर होती गयी। उनके उपन्यास सामान्यत: हमारे लम्बे इतिहास की पृष्ठभूमि में आधुनिक जीवन की जटिल परिस्थितियों को अपने में समाये हुए, समय के साथ बदलते मानव-सम्बन्धों के जीते-जागते दस्तावेज़ हैं। उपन्यासों के अतिरिक्त उनके 4 कहानी-संग्रह और 4 उपन्यासिकाएं भी उनकी संवेदनशीलता ओर शिल्प-सौष्ठव के परिचायक हैं। उनके कहानी-संग्रह 'पतझड़ की आवाज़’पर उनहें साहित्य अकादेमी ने सम्मानित किया। विभिन्न भारतीय भाषाओं के अतिरिक्त कुर्रतुलऐन हैदर की रचनाएँ अनेक विदेशी भाषाओं में भी अनूदित हो चुकी हैं।