Nishant Ke Sahyatri
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Nishant Ke Sahyatri
Number of Pages : 356
Published In : 2010
Available In : Hardbound
ISBN : 978-81-263-1910-7
Author: Qurratulain Hayder
Overview
1989 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित देश की प्रख्यात कथाकार कुर्रतुलऐन हैदर का उपन्यास 'आखिर-ए-शब के हमसफर’एक उर्दू क्लासिक माना जाता है। 'निशान्त के सहयात्री’उसका हिन्दी रूपान्तर है। 'आग का दरिया’और 'कारे जहां दराज़’जैसे उपन्यासों की लेखिका की कृतियों में ऐतिहासिक अहसास व सामाजिक चेतना के विकास का अनूठा सम्मिश्रण है। निशान्त के सहयात्री में यही अहसास और चेतना बहुत गाढ़ी हो गयी है यद्यपि यह उपन्यास केवल 33 वर्षों (1939-72) की छोटी सी अवधि में ही हमारी ऐतिहासिक और सामाजिक परम्पराओं की विशलता को एक पैने दृष्टिकोण से अपने में समोता है। कहानी 1939 में पूर्वी भारत के एक प्रसिद्ध नगर से आरम्भ होती है। पर वास्तव में यह पाँच परिवारों—दो हिन्दू, एक मुसलमान, एक भारतीय इसाई और एक अंग्रेज—का इतिहास है जो आपस में एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। इस समय के क्रांतिकारी परिवर्तन ने जन-सामान्य की मानसिकता, उसके नैतिक मूल्य, आदर्श और उद्देश्य के प्रति दृष्टिकोण को प्रभावित किया। इस सबका बड़ा वास्तविक चित्रण इस उपन्यास के शिल्प ने कहानी की वास्तविकता और जीवन्तता के सम्मिश्रण को और भी प्रखर करके जो रस का संचार किया है वही इस कृति की विशेष उपलब्धि है।
Price Rs 300
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