Neel Darpan
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Number of Pages : 164
Published In : 2010
Available In : HardBound
ISBN : 978-81-263-1896-4
Author: Deenbandhu Mitra
Overview
प्रख्यात बांग्ला नाटककार दीनबंधु मित्र रचित ‘नील दर्पण’ यद्यपि एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण नाट्यकृति है, जो अपने समय का एक सशक्त दस्तावेज़ भी है। 1860 में जब यह प्रकाशित हुआ था, तब बंगाली समाज और अँग्रेज शासक दोनों में तीव्र प्रतिक्रिया हुई थी। एक ओर बंगाली समाज ने इसका स्वागत किया तो दूसरी ओर अंग्रेज शासक इससे तिलमिला उठे। चर्च मिशनरी सोसायटी के पादरी रेवरेण्ड जेम्स लॉग ने ‘नील दर्पण’ का अँग्रेजी अनुवाद प्रकाशित किया तो अँग्रेज सरकार ने उन्हें एक माह की जेल की सज़ा सुनायी। बांग्ला में ‘नील दर्पण’ का प्रदर्शन पहले सार्वजनिक टिकट-बिक्री से मंच पर 1872 में हुआ, तो जहाँ एक ओर दर्शकों की भीड़ उमड़ पड़ी वहीं दूसरी ओर अँग्रेजी अखबारों ने उसकी तीखी आलोचना की। ऐसे नाटकों की विद्रोही भावना के दमन हेतु अँगे्रज सरकार ने 1876 में ‘ड्रेमेटिक परफॉमेंन्सेज़ कन्ट्रोल एक्ट’ जारी किया। अँग्रेज सरकार द्वारा रेवरेण्ड जेम्स लॉग पर चलाया गया मुकदमा ऐतिहासिक और रोमांचक है। नेमिचन्द्र जैन के ‘नील दर्पण’ के रूपान्तर के साथ ही उस मुकदमें का पूरा विवरण पाठकों को दमन और विद्रोह का दस्तावेज़ी परिचय देगा। भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित यह ऐतिहासिक कृति और दस्तावेज़ पाठकों को समर्पित है।
Price Rs 130/-
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