Urdu Adab Ke Sarokar
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Number of Pages : 268
Published In : 2018
Available In : Hardbound
ISBN : 978-93-87919-00-6
Author: Janki Prasad Sharma
Overview
समन्वित संस्कृति के चिह्नï उभरने के साथ-साथ उर्दू भाषा के अस्तित्व में आने की प्रक्रिया शुरू हुई। यह भाषा दो भिन्न समुदायों की मिली-जुली समाजार्थिक और सांस्कृतिक ज़रूरतों की पैदावार है। भाषा की तरह इसकी लिपि में भी भारतीय तत्त्व समाहित हैं। इसे मध्यकाल की राजभाषा फ़ारसी से जोड़कर देखना एक भ्रम है। सच्चाई यह है कि उर्दू का प्रसार फ़ारसी के वर्चस्व के जवाब में हुआ। इसकी प्रकृति में विविध अंचलों के सांस्कृतिक तत्त्वों की विद्यमानता को देखते हुए विद्वानों ने इसके जन्म-स्थान अलग-अलग बताये हैं। मुहम्मद हुसैन आज़ाद ने 'आबे-हयात’ में इसके जन्म का सम्बन्ध ब्रजक्षेत्र से जोड़ा है तो हाफ़िज़ महमूद शीरानी ने 'पंजाब में उर्दू’ में इसका जन्म-स्थान पंजाब बताया है। कुछ विद्वान सिन्ध को और कुछ दकन को इसका जन्म-स्थान मानते हैं। अर्थात् सिन्ध से दकन तक इसका वतन है। हिन्दी क्षेत्र में सांस्कृतिक चेतना के पिछड़ेपन का सवाल उठाया जाता रहा है। इस पिछड़ेपन के अनेक कारणों में से एक यह भी है कि हम हिन्दी-उर्दू के सापेक्ष विकास की समझ को अपेक्षानुरूप विकसित नहीं कर पाए हैं। इसके लिए हिन्दी और उर्दू वाले दोनों जि़म्मेदार हैं।पिछले क़रीब पाँच सौ वर्षों की हिन्दी और उर्दू रचनाशीलता में बहुत कुछ साझा रहा है। कम अज़ कम इस दौरान हिन्दी और उर्दू का विकास एक-दूसरे से सापेक्ष रहा है...—इसी पुस्तक की 'भूमिका’ से
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