Kavi Parampara Tulsi se Trilochan
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Kavi Parampara Tulsi se Trilochan
Number of Pages : 262
Published In : 2013
Available In : Hardbound
ISBN : 978-81-263-1730-1
Author: Tarashankar Bandyopadhyaya
Overview
प्रख्यात समालोचक प्रभाकर श्रोत्रिय की 'कवि-परम्परा’विभिन्न युगों की कविता को ताज़गी और मार्मिकता से आधुनिक पटल पर रखती है। इस पुस्तक में शामिल 21 कवि भक्ति-युग से नयी कविता युग तक का लम्बा काल-विस्तार समेटे हैं। जहाँ एक ओर भक्तिकाल के तुलसी, कबीर, सूर, मीरा हैं, वहीं मैथिलीशरण गुप्त, माखनलाल चतुर्वेदी जैसे राष्ट्रीय धारा के कवि और प्रसाद, निराला, पन्त महादेवी सरीखे छायावादी कवि हैं। इधर प्रगतिवादी धारा के नागार्जुन, त्रिलोचन हैं तो उधर नयी कविता के अज्ञेय, मुक्तिबोध, शमशेर, नरेश, भारती, वीरेन्द्रकुमार जैन, रामविलास शर्मा जैसे दिग्गज कवि।
Price Rs 230/-
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प्रख्यात समालोचक प्रभाकर श्रोत्रिय की 'कवि-परम्परा’विभिन्न युगों की कविता को ताज़गी और मार्मिकता से आधुनिक पटल पर रखती है। इस पुस्तक में शामिल 21 कवि भक्ति-युग से नयी कविता युग तक का लम्बा काल-विस्तार समेटे हैं। जहाँ एक ओर भक्तिकाल के तुलसी, कबीर, सूर, मीरा हैं, वहीं मैथिलीशरण गुप्त, माखनलाल चतुर्वेदी जैसे राष्ट्रीय धारा के कवि और प्रसाद, निराला, पन्त महादेवी सरीखे छायावादी कवि हैं। इधर प्रगतिवादी धारा के नागार्जुन, त्रिलोचन हैं तो उधर नयी कविता के अज्ञेय, मुक्तिबोध, शमशेर, नरेश, भारती, वीरेन्द्रकुमार जैन, रामविलास शर्मा जैसे दिग्गज कवि।