Akash Mein Deh
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Akash Mein Deh
Number of Pages : 132
Published In : 2017
Available In : Hardbound
ISBN : 978-93-263-5585-8
Author: Ghanshyam Kumar Devansh
Overview
यह संग्रह एक ऐसे कवि का पहला कदम है जो चमकती हुई पत्रिकाओं और उस से भी ज्यादा चमकते हुए कवि परिवार (परम्परा) से नहीं आता। देवांश इस परंपरा की निषेध की आवाज है। यह आवाज किसी विरोध या समर्थन में नारे नहीं लगाती। बस एक कविता की शक्ल में आपके सामने आ खड़ी होती है। यह दौर चिल्ला-चिल्ला कर कहने वालों के बीच अपनी बात सधे हुए शब्दों के साथ आराम से रखने का है। देवांश का कवि यह करता है। उसे जल्दी या हड़बड़ी नहीं है इसलिए वह छपने के प्रयास में कम, लिखने के प्रयास में ज्यादा लगा रहता है। इसलिए देवांश की कविताएँ पत्रिकाओं में देखने को बहुत ही कम मिलती हैं। दिल्ली में रहते हुए दो-दो साल तक किसी पत्रिका या गोष्ठी में हम उन्हें न देख पाएँ तो कोई अचरज नहीं। कवि का काम ही होता है अपनी रचनात्मकता से पाठकों को अचरज में डालना। देवांश की कविताएँ और उनके कवि रूप से आपका परिचय अचरज से भरे हुए सुख का होगा, इसमें मुझे तनिक भी सन्देह नहीं है। उम्र के इस पड़ाव में प्रेम, बेरोजगारी और आक्रोश के बारे में कवि ज्यादा कविताएँ लिखते हैं। देवांश उससे ज्यादा 'ब्रेकअप’, 'नौकरी’और 'मालिकों’के बारे में कलात्मक रचनात्मकता के साथ सामने आते हैं; इसलिए यह निजता सार्वजनिकता में बदल जाती है। यह एक नयी चीज है। आगे हमें इसका विस्तार देखने को मिलेगा, ऐसी एक सम्भावना यहाँ है।
Price Rs 230/-
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