Sanchayiata

view cart
Availability : Stock
  • 0 customer review

Sanchayiata

Number of Pages : 216
Published In : 2017
Available In : Paperback
ISBN : 978-93-263-5166-9
Author: Ramdhari Singh Dinkar

Overview

‘दिनकर’ जी की एक नहीं अनेक रचनाएँ ऐसी हैं जिनका महत्त्व तो अक्षुण्ण है ही, उनकी प्रासंगिकता भी न्यूनाधिक पूर्ववत् ही है। आज की पीढ़ी पर रचनाकार भी दिनकर-साहित्य से अपने को उसी प्रकार उसके समकालीनों ने किया। ऐसे ही समय की कसौटी पर खरी उतरी शाश्वत रचनाओं की अन्यतम निधि हैं—‘संचयिता’ और यह निधि दिनकर जी ने भारतीय ज्ञानपीठ के आग्रह पर तब संजोयी थी जब उन्हें उनकी अमर काव्यकृति ‘उर्वशी’ के लिए 1972 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

Price     Rs 180/-

Rates Are Subjected To Change Without Prior Information.

‘दिनकर’ जी की एक नहीं अनेक रचनाएँ ऐसी हैं जिनका महत्त्व तो अक्षुण्ण है ही, उनकी प्रासंगिकता भी न्यूनाधिक पूर्ववत् ही है। आज की पीढ़ी पर रचनाकार भी दिनकर-साहित्य से अपने को उसी प्रकार उसके समकालीनों ने किया। ऐसे ही समय की कसौटी पर खरी उतरी शाश्वत रचनाओं की अन्यतम निधि हैं—‘संचयिता’ और यह निधि दिनकर जी ने भारतीय ज्ञानपीठ के आग्रह पर तब संजोयी थी जब उन्हें उनकी अमर काव्यकृति ‘उर्वशी’ के लिए 1972 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
Add a Review
Your Rating