Angan Ke Par Dwar

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Angan Ke Par Dwar

Number of Pages : 80
Published In : 2016
Available In : Hardbound
ISBN : 978-81-263-2020-2
Author: Ajneya

Overview

" ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित हिन्दी के प्रसिद्ध कवि, लेखक और पत्रकार 'अज्ञेय’के अपने इस संग्रह 'आँगन के पार द्वार’तक आते-आते उनका काव्य निखार और गहराई के ऐसे उत्कर्ष पर पहुँचा है, जिसमें भारतीय चिन्तन-परम्परा की विश्व से संयोजन की क्षमता साकार हो उठी है। इस दृष्टिï से यह संग्रह हिन्दी-काव्य की अद्वितीय उपलब्धि है। इस कृति ने यह सिद्ध कर दिया है कि 'अज्ञेय’प्रश्न छेडऩे में ही नहीं, उत्तर पाने में भी कुशल हैं। यह जरूर है कि ये उत्तर उन्होंने बाहर से नहीं, भीतर से पाये हैं। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से अलंकृत 'आँगन के पार द्वार’नयी कविता की ही नहीं, आधुनिक हिन्दी कविता की अत्यन्त प्रांजल और प्रौढ़ उपलिब्ध है। समर्पित है हिन्दी कविता के सहृदय पाठकों को 'आँगन के पार द्वार’का नया संस्करण। "

Price     Rs 120/-

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" ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित हिन्दी के प्रसिद्ध कवि, लेखक और पत्रकार 'अज्ञेय’के अपने इस संग्रह 'आँगन के पार द्वार’तक आते-आते उनका काव्य निखार और गहराई के ऐसे उत्कर्ष पर पहुँचा है, जिसमें भारतीय चिन्तन-परम्परा की विश्व से संयोजन की क्षमता साकार हो उठी है। इस दृष्टिï से यह संग्रह हिन्दी-काव्य की अद्वितीय उपलब्धि है। इस कृति ने यह सिद्ध कर दिया है कि 'अज्ञेय’प्रश्न छेडऩे में ही नहीं, उत्तर पाने में भी कुशल हैं। यह जरूर है कि ये उत्तर उन्होंने बाहर से नहीं, भीतर से पाये हैं। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से अलंकृत 'आँगन के पार द्वार’नयी कविता की ही नहीं, आधुनिक हिन्दी कविता की अत्यन्त प्रांजल और प्रौढ़ उपलिब्ध है। समर्पित है हिन्दी कविता के सहृदय पाठकों को 'आँगन के पार द्वार’का नया संस्करण। "
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