Jaise Unke Din Phire
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Jaise Unke Din Phire
Number of Pages : 112
Published In : 2016
Available In : Paperback
ISBN : 978-93-263-3019-5
Author: Harishankar Parsai
Overview
जैसे उनके दिन फिरे की ये कहानियाँ हरिशंकर परसाई की मात्र हास्य-कहानियाँ नहीं हैं—यों हँसी इन्हें पढ़ते-पढ़ते अवश्य आ जाएगी, पर पीछे जो मन में बचेगा, वह गुदगुदी नहीं, चुभन होगी। मनोरंजन प्रासंगिक है, वह लेखक का उद्देश्य नहीं। उद््देश्य है—युग के समाज का, उसकी बहुविध विसंगतियों, अनतर्विरोधों, विकृतियों और मिथ्याचारों का उद््घाटन। परसाई जी की इन कहानियों में हँसी से बढ़ कर जीवन की तीखी आलोचना है।
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जैसे उनके दिन फिरे की ये कहानियाँ हरिशंकर परसाई की मात्र हास्य-कहानियाँ नहीं हैं—यों हँसी इन्हें पढ़ते-पढ़ते अवश्य आ जाएगी, पर पीछे जो मन में बचेगा, वह गुदगुदी नहीं, चुभन होगी। मनोरंजन प्रासंगिक है, वह लेखक का उद्देश्य नहीं। उद््देश्य है—युग के समाज का, उसकी बहुविध विसंगतियों, अनतर्विरोधों, विकृतियों और मिथ्याचारों का उद््घाटन। परसाई जी की इन कहानियों में हँसी से बढ़ कर जीवन की तीखी आलोचना है।