Amarkant Ki Sampoorna Kahaniyan (Part I)
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Amarkant Ki Sampoorna Kahaniyan (Part I)
Number of Pages : 528
Published In : 2013
Available In : Hardbound
ISBN : 978-93-263-5199-7
Author: Amarkant
Overview
अमरकान्त का रचनाकाल 1954 से लेकर आज तक है, उनकी कलम न रुकी, न झुकी। उनके साथ के कई रचनाकार थक-चुक कर बैठ गये, कुछ निजी पत्रकारिता में चले गये तो कुछ मौन हो गये, किन्तु अमरकान्त ने अपनी निजी परेशानियों को कभी लेखन पर हावी नहीं होने दिया, उन्होंने हर हाल में लिखा। उन्होंने लेखन को जिजीविषा दी अथवा लेखन ने उन्हें, यह विचारणीय प्रश्न है। इस प्रसंग में अमरकान्त की रचनात्मकता की सहज सराहना करने का मन होता है कि उन्होंने समय-समाज को संहारक या विदारक बनने की बजाय विचारक बनाया। अमरकान्त के लिए लेखन एक सामाजिक दायित्व है। वे मानते हैं कि लेखन समय और धैर्य की माँग करता है। उनकी शीर्ष कहानी पढऩे पर प्रमाणित होगा कि आरम्भ से ही इस रचनाकार ने अप्रतिम सहजता के साथ-साथ सजगता से भी इन कहानियों की रचना की। 'डिप्टी कलक्टरी’, 'दोपहर का भोजन’, 'जिन्दगी और जोंक’, 'हत्यारे’, 'मौत का नगर’, 'मूस’, 'असमर्थ हिलता हाथ’बड़ी स्वाभविक और जीवनोन्मुख कहानियाँ हैं। सहज सरल कलेवर में लिपटी ये कहानियाँ जीवन की घनघोर जटिलताएँ व्यक्त कर डालती हैं। अपने समग्र प्रभाव व प्रेषण में ये रचनाएँ हमें देर तक सोचने के लिए विवश कर देती हैं। दो खंडों में प्रस्तुत एक हजार से अधिक पृष्ठïों का यह संकलन रचनाकार अमरकान्त की कहानियों का सम्पूर्ण कोश है, जो उनके बृहद्ï कथा लेखन के सरोकारों और चिन्ताओं और दृष्टिï को समझने में महत्त्वपूर्ण सिद्ध होगा।
Price Rs 550/-
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