Ye Jeevan Hai

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Ye Jeevan Hai

Number of Pages : 192
Published In : 2013
Available In : Hardbound
ISBN : 978-93-263-5138-6
Author: Ashapurna Devi

Overview

के साहित्य सृजन का समुज्ज्वल प्रकाश, मंदिर के उस दीये की तरह है जो अंध्कार को दूर तो करता ही है, जीवन के प्रति एक अटल विश्वास भी जगाता है। अपनी पचास वर्षों की दीर्घ साहित्य-साधना में एक ओर उनके उपन्यासों में नारी-चरित्र के जटिल भावों का मन्थन है तो दूसरी ओर उनकी कहानियों में जीवन के विभिन्न संदर्भों में मानव-चरित्र का अनोखा रूप देखने को मिलता है। प्रस्तुत संकलन ‘ये जीवन है’ में जिन कहानियों का चयन किया गया है, वे सब की सब निराली हैं। इनके चरित्रों में अन्तद्र्वन्द्व है, मानव की क्षुद्र और वृहत् सत्ता का संघर्ष है, समाज की खोखली रीतियों का पर्दाफाश है और आधुनिक युग की नारी-स्वाधीनता के परिणामस्रूप अधिकारों को लेकर उभर रहे नारी पुरुष के द्वन्द्व पर दृष्टिपात है। दरअसल इन कहानियों में आशापूर्णा देवी ने मानव-चरित्र को हर कोण से जाँचा-परखा है। हिन्दी के सहृदय पाठकों को समर्पित है प्रस्तुत कहानी-संग्रह ‘ये जीवन है’ का नवीन संस्करण।

Price     Rs 170/-

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के साहित्य सृजन का समुज्ज्वल प्रकाश, मंदिर के उस दीये की तरह है जो अंध्कार को दूर तो करता ही है, जीवन के प्रति एक अटल विश्वास भी जगाता है। अपनी पचास वर्षों की दीर्घ साहित्य-साधना में एक ओर उनके उपन्यासों में नारी-चरित्र के जटिल भावों का मन्थन है तो दूसरी ओर उनकी कहानियों में जीवन के विभिन्न संदर्भों में मानव-चरित्र का अनोखा रूप देखने को मिलता है। प्रस्तुत संकलन ‘ये जीवन है’ में जिन कहानियों का चयन किया गया है, वे सब की सब निराली हैं। इनके चरित्रों में अन्तद्र्वन्द्व है, मानव की क्षुद्र और वृहत् सत्ता का संघर्ष है, समाज की खोखली रीतियों का पर्दाफाश है और आधुनिक युग की नारी-स्वाधीनता के परिणामस्रूप अधिकारों को लेकर उभर रहे नारी पुरुष के द्वन्द्व पर दृष्टिपात है। दरअसल इन कहानियों में आशापूर्णा देवी ने मानव-चरित्र को हर कोण से जाँचा-परखा है। हिन्दी के सहृदय पाठकों को समर्पित है प्रस्तुत कहानी-संग्रह ‘ये जीवन है’ का नवीन संस्करण।
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