Haweli Sanatanpur

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Haweli Sanatanpur

Number of Pages : 226
Published In : 2014
Available In : Hardbound
ISBN : 978-93-263-5280-2
Author: Indira Dangi

Overview

इन्दिरा दांगी ने अपने उपन्यास 'हवेली सनातनपुर’ में कथा फंतासी को ऐसी सर्जनात्मक अभिव्यक्ति प्रदान की है, जो बहुधा युवा लेखकों में एक सिरे से नदारत दिखती है। मगर, कहा जाता है कि समकालीन युवा लेखन अपनी अनोखी भाषा, शिल्प और स्वप्न-फंतासी के रचनात्मक द्वन्द्व से ही निकलकर सामने आया है। इन्दिरा दांगी की कहानियाँ पिछले दिनों काफी चॢचत रही है, जहाँ उपन्यास हवेली सनातनपुर की बात है तो वह अपने कथ्य और शिल्प में बहुत प्रभावशाली है। मनुष्य जीवन के अद्भुत घटनातन्त्र में उलझी हुई इसकी कहानी हालाँकि एक ट्रैजडी है, मगर उसका यथार्थ मनुष्य स्वप्नों की कराहती व धरधराती खोह से उपजता है, जो अन्तत: आदमी के मनोकांक्षाओं को पूरा करता हुआ प्रतीत होता है। निश्चित ही यह उपन्यास हिन्दी कथा साहित्य में एक मुकाम हासिल करेगा।

Price     Rs 300/-

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इन्दिरा दांगी ने अपने उपन्यास 'हवेली सनातनपुर’ में कथा फंतासी को ऐसी सर्जनात्मक अभिव्यक्ति प्रदान की है, जो बहुधा युवा लेखकों में एक सिरे से नदारत दिखती है। मगर, कहा जाता है कि समकालीन युवा लेखन अपनी अनोखी भाषा, शिल्प और स्वप्न-फंतासी के रचनात्मक द्वन्द्व से ही निकलकर सामने आया है। इन्दिरा दांगी की कहानियाँ पिछले दिनों काफी चॢचत रही है, जहाँ उपन्यास हवेली सनातनपुर की बात है तो वह अपने कथ्य और शिल्प में बहुत प्रभावशाली है। मनुष्य जीवन के अद्भुत घटनातन्त्र में उलझी हुई इसकी कहानी हालाँकि एक ट्रैजडी है, मगर उसका यथार्थ मनुष्य स्वप्नों की कराहती व धरधराती खोह से उपजता है, जो अन्तत: आदमी के मनोकांक्षाओं को पूरा करता हुआ प्रतीत होता है। निश्चित ही यह उपन्यास हिन्दी कथा साहित्य में एक मुकाम हासिल करेगा।
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