Devdas

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Devdas

Number of Pages : 128
Published In : 2010
Available In : Hardbound
ISBN : 978-81-263-1847-6
Author: Sharatchandra Chattopadhyay

Overview

बहुत कम आधुनिक किताबों की नियति वैसी रही है जैसी कि 'देवदास' की - एक अप्रत्याशित मिथकीयता से घिर जाने की नियति! इसके प्रकाशन के पूर्व शायद ही कोई यह कल्पना कर सकता था कि यह कृति एक पुस्तक से अधिक एक मिथक हो जाएगी और इसमें शायद ही किसी को कोई संदेह हो कि पुस्तक की यह मिथकीय अवस्था उसके मुख्य पात्र देवदास के एक मिथक एक कल्ट में बदल जाने से है! और अंत में 'देवदास' यदि प्रेमकथा है तो वह देवदास और चन्द्रमुखी की प्रेमकथा है, जिसमे पार्वती एक मूलभूत (ओरिजिनल) विषयान्तर 'पारो' है! चूँकि वह मूलभूत है, देवदास पार्वती के देश/ गाँव लौट के ही मरेगा, लेकिन उसका मार्जिनलाईजेशन इतना पूर्ण है कि उसका मरना पार्वती के घर की देहरी के बाहर ही होगा-- एक और अमर, अनुल्लंघनीय  हाशिये पर !

Price     Rs 130/-

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बहुत कम आधुनिक किताबों की नियति वैसी रही है जैसी कि 'देवदास' की - एक अप्रत्याशित मिथकीयता से घिर जाने की नियति! इसके प्रकाशन के पूर्व शायद ही कोई यह कल्पना कर सकता था कि यह कृति एक पुस्तक से अधिक एक मिथक हो जाएगी और इसमें शायद ही किसी को कोई संदेह हो कि पुस्तक की यह मिथकीय अवस्था उसके मुख्य पात्र देवदास के एक मिथक एक कल्ट में बदल जाने से है! और अंत में 'देवदास' यदि प्रेमकथा है तो वह देवदास और चन्द्रमुखी की प्रेमकथा है, जिसमे पार्वती एक मूलभूत (ओरिजिनल) विषयान्तर 'पारो' है! चूँकि वह मूलभूत है, देवदास पार्वती के देश/ गाँव लौट के ही मरेगा, लेकिन उसका मार्जिनलाईजेशन इतना पूर्ण है कि उसका मरना पार्वती के घर की देहरी के बाहर ही होगा-- एक और अमर, अनुल्लंघनीय  हाशिये पर !
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