Chandni Begum

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Chandni Begum

Number of Pages : 310
Published In : 2018
Available In : Hardbound
ISBN : 978-81-263-1837-7
Author: Qurratulain Hyder

Overview

ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित उर्दू की प्रसिद्ध कथाकार कुर्रतुलऍन हैदर का यह उपन्यास 'चांदनी बेगम' कथ्य और शिल्प के स्तर पर दरअसल एक ऐसा प्रतीकात्मक उपन्यास है जिसके कई-कई पहलु है और कथानक के धागे में समर्थ कथाकार ने सबको एक तरह पिरोया है कि किसी को अलग करके नहीं देखा जा सकता. उपन्यास के केंद्र में है जमीन की मिलिकयत की जद्दोजहद यानि लखनऊ की 'रेडरोज़' की कोठी और उसके इर्दगिर्द रचे-बसे बदलते समाज तथा रिश्तो और चरित्रों की रंगीन तस्वीरे. इंसानी बेबसी की इतनी जानदार और सच्ची अभिव्यक्ति इस उपन्यास में है कि चरित्रों के साथ पाठक का एक हमदर्द जुडाव हो जाता है. भाषा की दृष्टि से भी 'चाँदनी बेगम' बेजोड़ है और कुर्रतुलएन हैदर ने कहानी और माहौल के हिसाब से इसका बेहद खूबसूरती के साथ इस्तेमाल किया है समूचे उपन्यास में एक और जहाँ आम लोगों की बोलिबानी में पूर्वी और पश्चिमी उर्दू के साथ अवधि भोजपुरी और पछाही हिंदी है वहीँ लखनवी उर्दू की भी चटाए है उपन्यास का सारा परिवेश सहज ही अपनी अमिट छाप बनाता है कहना न होगा की एक नये अंदाज में लिखे गए इस उपन्यास को पढ़ना हिंदी पाठकों के लिए एक नया अनुभव देगा. 

Price     Rs 350/-

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ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित उर्दू की प्रसिद्ध कथाकार कुर्रतुलऍन हैदर का यह उपन्यास 'चांदनी बेगम' कथ्य और शिल्प के स्तर पर दरअसल एक ऐसा प्रतीकात्मक उपन्यास है जिसके कई-कई पहलु है और कथानक के धागे में समर्थ कथाकार ने सबको एक तरह पिरोया है कि किसी को अलग करके नहीं देखा जा सकता. उपन्यास के केंद्र में है जमीन की मिलिकयत की जद्दोजहद यानि लखनऊ की 'रेडरोज़' की कोठी और उसके इर्दगिर्द रचे-बसे बदलते समाज तथा रिश्तो और चरित्रों की रंगीन तस्वीरे. इंसानी बेबसी की इतनी जानदार और सच्ची अभिव्यक्ति इस उपन्यास में है कि चरित्रों के साथ पाठक का एक हमदर्द जुडाव हो जाता है. भाषा की दृष्टि से भी 'चाँदनी बेगम' बेजोड़ है और कुर्रतुलएन हैदर ने कहानी और माहौल के हिसाब से इसका बेहद खूबसूरती के साथ इस्तेमाल किया है समूचे उपन्यास में एक और जहाँ आम लोगों की बोलिबानी में पूर्वी और पश्चिमी उर्दू के साथ अवधि भोजपुरी और पछाही हिंदी है वहीँ लखनवी उर्दू की भी चटाए है उपन्यास का सारा परिवेश सहज ही अपनी अमिट छाप बनाता है कहना न होगा की एक नये अंदाज में लिखे गए इस उपन्यास को पढ़ना हिंदी पाठकों के लिए एक नया अनुभव देगा. 
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