Kaatna Shami Ka Vriksha Padma-Pankhuri Ki Dhar Se
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Kaatna Shami Ka Vriksha Padma-Pankhuri Ki Dhar Se
Number of Pages : 530
Published In : 2013
Available In : Hardbound
ISBN : 978-81-263-5150-8
Author: Surendra Verma
Overview
काटना शमी का वृक्ष पद्मपखुरी की धार से' (एक दृश्य काव्याख्यान) बहुचर्चित रचनाकार सुरेन्द्र वर्मा का नया और महत्वपूर्ण उपन्यास है. समय द्वारा भूले सुदूर ग्राम में चटपटाता युवा कवि कालिदास काव्यशास्त्र के परे जा, नितांत मौलिक कृति 'ऋतुसंहार' की रचना करता है, पर उज्जयिनी विश्वविद्यालय का आचार्य अध्यक्ष उसे पढ़े बिना रद्दी की टोकरी में फेंक देता है. अपने आराध्य शिव को लेकर एक महाकाव्य की रूपरेखा भी उसने बना रखी है. अपने अनुकूल एक नई महाकव्य शैली का धुंधला सा स्वरूप उसके भीतर सुगबुगा रहा है. पर वाड्मय के किसी विद्वान से उसके बारे में चर्चा जरूरी है. नाट्य रचना का कांक्षी कालिदास शाकुंतल के प्रारम्भिक अंक लिख लेता है, पर उनका आंतरिक समीक्षक समझ जाता है, कि घुमंतू रंगमंडलियों से प्राप्त रंग-व्याकरण की उसकी समझ अभी कच्ची है.
Price Rs 550/-
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