Agnisagar Se Amrit
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Agnisagar Se Amrit
Number of Pages : 456
Published In : 2017
Available In : Hardbound
ISBN : 978-93-263-5589-6
Author: C. Radhakrishnan
Overview
मलयालम की वर्तमान वर्णमाला तिरूर की प्राथमिक पाठशाला में ही भाषा-पिता के हृदयकमल में विकसित हुई थी। इसलिए शिशुओं के विद्यारम्भ के समय उपयोग करने के लिए वहाँ से मुट्ठी भर मिट्टी ले जाने की प्रथा सदियों से चली आ रही है जिसे बिछा कर शिशुओं की अँगुली से आद्यक्षर लिखवाए जाते हैं। विद्यारम्भ के दौरान आद्यक्षर लिखवाने के लिए मीलों की दूरी तय करके गोकर्ण से लेकर कन्याकुमारी तक के शिशुओं को वहाँ लाया जाता है। उस पुण्य स्थली के सामीप्य-अनुग्रह के लिए आभार। उस अनुग्रह के सिलसिले में और भी कई सहायक हस्तों का सहयोग भी इस कृति की रचना में मिला है। गुरुमातुलों की भलमनसी के साथ-साथ उनके कृपा कटाक्षों का भी आभारपूर्वक स्मरण करता हूँ। भाषा-पिता की जीवन गाथा का मौखिक पाठ मातामही और पितामह से ग्रहण किया था। साथ ही हाई स्कूल में हमें मलयालम पढ़ाते रहे श्री पद्मनाभ पणिक्करजी ने महाकवि उल्लूर द्वारा रचित मलयालम भाषा साहित्य के इतिहास का जो दूसरा खंड मुझे पढऩे के लिए दिया उससे भी इस रचना के लिए आवश्यक सत्यान्वेषण आरम्भ हुआ। बाहरी दुनिया द्वारा बरसायी गयी अनुग्रह-पुष्प-वर्षा का आरम्भ भी यही था।
Price Rs 770/-
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