Lebar Chauraha
view cart- 0 customer review
Lebar Chauraha
Number of Pages : 124
Published In : 2017
Available In : Hardbound
ISBN : 978-93-263-5492-9
Author: Manju Devi
Overview
प्रस्तुत पुस्तक ‘लेबर चौराहा’ वर्तमान समय की ज्वलन्त समस्याओं पर लिखी गयी महत्त्वपूर्ण पुस्तक है। पुस्तक लिखने के पहले मैं बनारस शहर में चौराहों पर लगने वाली लेबर मंडी के मजदूरों से आत्मीयता के साथ मिली। यह मिलना एक बार नहीं, कई-कई बार हुआ। उनके जीवन के दुखदर्द, बेराजगारी, संघर्ष, असुरक्षा, आत्म-सम्मान, खुशी सबको मिल-जुलकर बाँटा गया। लेबर मंडी के मजदूरो से मैं तीन वर्षों तक लगातार मिलती रही। आज यह महत्त्वपूर्ण प्रश्न है कि मजदूरों द्वारा मेहनत करने के बाद भी लोगों का व्यवहार उनके प्रति अच्छा नहीं होता है। लोग मजदूरों को बात-बात पर भद्दी-भद्दी गालियाँ देते हैं, झाटा (बाल) नोच-नोचकर मारते हैं, काम कराने के बाद पैसा नहीं देते हैं। मजदूर जब ठेकेदार के साथ काम करता है तो वह उसे पूरा पैसा नहीं देता है, और कई-कई दिनों तक टकराता है। कोई बिहार के किसी गाँव से तो कोई चकिया, चन्दौली, गोरखपुर, गाजीपुर, बलिया, कुशीनगर, आज़मगढ़, मुर्शिदाबाद आदि न जाने किन-किन शहरों से आकर यहाँ मजदूरी करने के लिये बाध्य हैं। आज के आधुनिक और वैश्वीकरण के युग में लेबर मंडियों की बढ़ती हुई संस्था ने बहुत सारे प्रश्नों को जन्म दिया है। एक ओर बड़े-बड़े मकान हैं, तो दूसरी ओर बहुत बड़ी संख्या उन लागों की है, जिनके पास न घर है, न भोजन है, न शौचालय है, और न ही नहाने और पीने के लिये पानी है। तन ढकने के लिये कपड़े भी नहीं हैं।
Price Rs 210/-
Rates Are Subjected To Change Without Prior Information.
Add a Review
Your Rating
You May also like this
Oh, These Rehnumas!
The focal leitmotif of the novel Oh, These Rehnumas! is to bring out the representative voices o
Aadhunik Hindi Gadya Sahitya Ka Vikas Aur Vishleshan
प्रख्यात आलोचक विजय मोहन ङ्क्षसह की
Kaatna Shami Ka Vriksha Padma-Pankhuri Ki Dhar Se
काटना शमी का वृक्ष पद्मपखुरी की धार स