Where Do I Belong
view cart- 0 customer review
Where Do I Belong
Number of Pages : 394
Published In : 2013
Available In : Hardbound
ISBN : 978-93-263-5216-1
Author: Archana Painuly
Overview
अर्चना पैन्यूली विस्थापन, प्रवास, संस्कृति भेद, आधुनिकता और पारम्परिक जीवन-मूल्यों के विविध प्रश्नों के उत्तर अपनी रचनाओं में तलाशती रहती हैं। ‘वेयर डू आई बिलांग’ उपन्यास अर्चना पैन्यूली की इस रचनात्मक वृत्ति का सुखद विस्तार है। यह उपन्यास एक भारतीय अप्रवासी वंशज रीना को केन्द्र में रखकर रचा गया है। डेनमार्क में रहनेवाली रीना जेनेटिक इंजीनियरिंग की छात्रा है और दुनिया के विषय में व्याप्त धारणाओं की थाह लगाना चाहती है। इसी क्रम में वह भारत आकर अपने पूर्वजों के देश से परिचित होती है। रीना आत्मीयता, अन्तरंगता और आत्मस्वीकृति के कई आयाम देखती है। अर्चना के शब्दों में, ‘प्रेम चाहे कितना ही असीम व अनन्त क्यों न हो, सबकुछ जीत नहीं सकता। किसी भी रिश्ते को बनाने के लिए मन की भावनाओं के अलावा कई अन्य तथ्य इतने महत्त्चपूर्ण होते हैं कि उन्हें उपेक्षित नहीं किया जा सकता।’ उपन्यास संस्कृतियों के संघर्ष की कहानी अपनी तरह से विकसित करता है। अर्चना पैन्यूली की स्पष्ट व पारदर्शी सामाजिक दृष्टि ‘वेयर डू आई बिलांग’ की ताकत है। कथावस्तु, चरित्र और वर्णन शैली की विशिष्टता इस उपन्यास की उपलब्धि है।
Price Rs 390/-
Rates Are Subjected To Change Without Prior Information.
Add a Review
Your Rating
You May also like this
Oh, These Rehnumas!
The focal leitmotif of the novel Oh, These Rehnumas! is to bring out the representative voices o
Aadhunik Hindi Gadya Sahitya Ka Vikas Aur Vishleshan
प्रख्यात आलोचक विजय मोहन ङ्क्षसह की
Kaatna Shami Ka Vriksha Padma-Pankhuri Ki Dhar Se
काटना शमी का वृक्ष पद्मपखुरी की धार स