Aryabhat
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Aryabhat
Number of Pages : 588
Published In : 2015
Available In : Hardbound
ISBN : 978-93-263-5253-6
Author: Dr.Ghanshyam Pandey
Overview
विलक्षण प्रतिभाशाली एक महान गणितज्ञ आर्यभट का जन्म सन 476ई. में हुआ था। उन्होंने 23 वर्ष की आयु में 'आर्यभटीय’नामक ग्रन्थ की रचना किया था। जिसका गणित के विास में अमूल्य योगदान रहा है। विश्व में गणित की यह प्रथम पुस्तक है, जिसमें अंकगणित, बीजगणित, रेखागणित तथा त्रिकोणमिति का समावेश है। वह नालन्दा विश्वविद्यालय के छात्र थे, जहाँ उन्होंने भू-भ्रमण के सिद्धान्त को प्रतिपादित किया था। आर्यभट के जीवन का अधिकांश समय केरल परिक्षेत्र में व्यतीत हुआ था, जहाँ उन्होंने पुरातन पंचांग के संशोधन का कार्य किया तथा दो वेधशालाएं स्थापित किया। नील नदी के तट पर स्ििात 'त्रिनवय’नामक सुरम्य स्थान पर एक गुरुकुल की स्थापना किया था, जिसका केरल क्षेत्र में गणित के विकास पर महत्वपूर्ण योगदान रहा है। परवर्ती काल के कुछ विख्यात गणितज्ञ, यथा पांडुरंग स्वामी, प्रभाकर मिश्र, लाटदेव, निशंकु आदि ने इसी गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त किया था। कुसुमपुर से केरल प्रवास के मध्य की भग्र शृंखलाओं को रोचक एवं सुन्दर ढंग से जोडऩे का प्रयास किया गया है, जिनके ऐतिहासिक संदर्भ प्रस्तुत किया गया है।
Price Rs 650/-
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