Morila

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Morila

Number of Pages : 176
Published In : 2016
Available In : Hardbound
ISBN : 978-93-263-5483-7
Author: Balram Kanvat

Overview

'मोरीला’ एक अन्यतम प्रेमकथा है। प्रेम जो कल्पना से यथार्थ तक आते-आते सामाजिक विसंगतियों और झंझावातों में अपना निश्छल-निष्कलुष रूप को खोता हुआ त्रासद हो उठता है। ग्रामीण परिवेश में जनमी इस कथा के अनेक खुरदरे रंग हैं जो मोर रंगों की धनक से धूसर-काले रंगों में बदलते जाते हैं। मोर के पंखों की प्रेमिल रंग-बिरंगी छटा रक्त डूबकर एक कठोर रंगलोक का पर्याय हो उठती है। उपन्यास की नायिका के अन्तर्लोक में प्रेम के प्रति राग और विराग का सूक्ष्म अंकन एक आश्चर्य की तरह है जो इधर इस तरह दूसरी कथाओं में दिखाई नहीं दे रहा है। 'मोरीला’ दरअसल हमारे मानस से छिटक गये प्रेम की स्निग्धता के पुनर्वास का एक अभिनव उपक्रम है। निर्दय समाज में प्रेम पर होते आक्रमणों की तरफ इशारा करता यह उपन्यास अपनी प्रासंगिकता को स्थापित करता हुआ, कुछ अर्थगर्भी संकेत करता है। अपनी सादा भाषा, आत्मीय क़िस्सागोई और नैसॢगक आन्तरिक संगीत 'मोरीला’ को विशिष्ट बनाता है।

Price     Rs 300/-

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'मोरीला’ एक अन्यतम प्रेमकथा है। प्रेम जो कल्पना से यथार्थ तक आते-आते सामाजिक विसंगतियों और झंझावातों में अपना निश्छल-निष्कलुष रूप को खोता हुआ त्रासद हो उठता है। ग्रामीण परिवेश में जनमी इस कथा के अनेक खुरदरे रंग हैं जो मोर रंगों की धनक से धूसर-काले रंगों में बदलते जाते हैं। मोर के पंखों की प्रेमिल रंग-बिरंगी छटा रक्त डूबकर एक कठोर रंगलोक का पर्याय हो उठती है। उपन्यास की नायिका के अन्तर्लोक में प्रेम के प्रति राग और विराग का सूक्ष्म अंकन एक आश्चर्य की तरह है जो इधर इस तरह दूसरी कथाओं में दिखाई नहीं दे रहा है। 'मोरीला’ दरअसल हमारे मानस से छिटक गये प्रेम की स्निग्धता के पुनर्वास का एक अभिनव उपक्रम है। निर्दय समाज में प्रेम पर होते आक्रमणों की तरफ इशारा करता यह उपन्यास अपनी प्रासंगिकता को स्थापित करता हुआ, कुछ अर्थगर्भी संकेत करता है। अपनी सादा भाषा, आत्मीय क़िस्सागोई और नैसॢगक आन्तरिक संगीत 'मोरीला’ को विशिष्ट बनाता है।
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