Mrityunjaya

view cart
Availability : Out of Stock
  • 0 customer review

Mrityunjaya

Number of Pages : 700
Published In : 2017
Available In : Hardbound
ISBN : 978-93-263-5061-7
Author: Shivaji Sawant

Overview

मराठी के यशस्वी उपन्यासकार शिवाजी सावंत का सांस्कृतिक उपन्यास मृत्युंजय आधुनिक भारतीय कथा साहित्य में निःसंदेह एक विरल चमत्कार है! मूर्तिदेवी पुरस्कार सहित कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित और अनेक भारतीय एवं विदेशी भाषाओं में अनुदित यह कालजयी उपन्यास अपने लाखों पाठकों की सरहना पाकर इस समय भारतीय साहित्य जगत में लोकप्रियता के शिखर पर प्रतिष्ठित है. मृत्यंजय उपन्यास महारथी दानवीर कर्ण के विराट व्यक्तित्व पर केन्द्रित है! महाभारत के कई मुख्य पत्रों के बीच जहाँ स्वयं कृष्ण भी है! कर्ण की ओजस्वी, उदार, दिव्य, और सर्वांगीण छवि प्रस्तुत करते हुए श्री सावन्त ने जीवन की सार्थकता उसकी नियति और मूल चेतना तथा मानव संबंधों की सिथति एवं संस्कारशीलता की मार्मिक और कलात्मक अभिव्यक्ति की है! मृत्युंजय में पौराणिक कथ्य और सनातन सांस्कृतिकचेतना के अन्तः संबंधो को पूरी गरिमा के साथ उजागर किया गया है! उपन्यास को महाकाव्य का धरातल देकर चरित्र की इतनी सूक्ष्म पकड़, शैली का इतना सुंदर निखार और भावनाओ की अभिव्यक्ति में इतना माम्रिक रसोद्रेक सब कुछ इस उपन्यास में अनूठा है!

Price     Rs 620/-

Rates Are Subjected To Change Without Prior Information.

मराठी के यशस्वी उपन्यासकार शिवाजी सावंत का सांस्कृतिक उपन्यास मृत्युंजय आधुनिक भारतीय कथा साहित्य में निःसंदेह एक विरल चमत्कार है! मूर्तिदेवी पुरस्कार सहित कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित और अनेक भारतीय एवं विदेशी भाषाओं में अनुदित यह कालजयी उपन्यास अपने लाखों पाठकों की सरहना पाकर इस समय भारतीय साहित्य जगत में लोकप्रियता के शिखर पर प्रतिष्ठित है. मृत्यंजय उपन्यास महारथी दानवीर कर्ण के विराट व्यक्तित्व पर केन्द्रित है! महाभारत के कई मुख्य पत्रों के बीच जहाँ स्वयं कृष्ण भी है! कर्ण की ओजस्वी, उदार, दिव्य, और सर्वांगीण छवि प्रस्तुत करते हुए श्री सावन्त ने जीवन की सार्थकता उसकी नियति और मूल चेतना तथा मानव संबंधों की सिथति एवं संस्कारशीलता की मार्मिक और कलात्मक अभिव्यक्ति की है! मृत्युंजय में पौराणिक कथ्य और सनातन सांस्कृतिकचेतना के अन्तः संबंधो को पूरी गरिमा के साथ उजागर किया गया है! उपन्यास को महाकाव्य का धरातल देकर चरित्र की इतनी सूक्ष्म पकड़, शैली का इतना सुंदर निखार और भावनाओ की अभिव्यक्ति में इतना माम्रिक रसोद्रेक सब कुछ इस उपन्यास में अनूठा है!
Add a Review
Your Rating