Mitho Paani Khaaro Paani
view cart- 0 customer review
Mitho Paani Khaaro Paani
Number of Pages : 272
Published In : 2016
Available In : Hardbound
ISBN : 978-93-263-5140-9
Author: Jaya Jadwani
Overview
जया जादवानी ने इस उपन्यास को, इतिहास को उसकी निजता एवं विगत की घटनाओं को उसकी ऐकांतिकता एवं वैशिष्ट्य में डिकन्सट्रक्ट नज़रिये से निर्वैयक्तिकता का निर्वहन करते हुए देखा-लिखा है। सिन्ध के पाँच हज़ार साल के इतिहास को छोटे-छोटे टुकड़ों में डिकन्सट्रक्ट कर इसे उत्तर-आधुनिक पैश्टिच शिल्प में लिखा गया है जहाँ इतिहास, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, सांस्कृतिक इतिहास आदि विभिन्न विधाओं की आवाजाही एवं अन्तर सम्बद्धता बनी रहती है पोस्ट माडर्निस्ट इंटरटेक्स्चुअलिटी की तरह इसकी यही विशेषता इसे हिन्दी भाषा में उत्तर हिस्टोयोग्राफिक आधुनिक उपन्यासों की श्रेणी का पहला मेटाफिक्शन की मान्यता प्रदान करता है। यही इसकी विशेषता एवं शक्ति भी है क्योंकि इतिहास में जाकर यह अपने समय एवं सत्ता को न सिर्फ ललकारता है वरन उसे मुठभेड़ की चुनौती भी पेश करता है। यह उपन्यास ‘मिठो पानी’ से ‘खारो पानी’ तक की सिर्फ बहिर्यात्रा ही नहीं है वरन अन्तर्यात्रा भी है मिठो पानी ‘सिन्धु नदी’ से खारो पानी ‘अरब सागर’ तक की यह दिलचस्प यात्रा एक भौगोलिक यात्रा ही नहीं अपितु एक पूरी सभ्यता यह एक यात्रा है—‘लांग मार्च’ है पूरी सभ्यता की कई सहस्राब्दियों के जनइतिहास एवं लोकचेतना को रेखांकित करती हुई एक अविरल हिन्दुस्तानी सभ्यता एवं संस्कृति की समीक्षा ही नहीं करती, उसे एक नया अर्थ एवं आयाम देती है। जया जादवानी ने सिन्धु नदी को उसकी सम्पूर्ण ऐतिहासिकता, मिथ लोक चेतना में व्याप्त उसके सम्पूर्ण सन्दर्भों सहित नायकत्व प्रदान किया है इस उपन्यास की नायिका सिन्धु नदी ही है यह अकारण नहीं है कि पूरे सिन्ध में।
Price Rs 300/-
Rates Are Subjected To Change Without Prior Information.
Add a Review
Your Rating
You May also like this
Oh, These Rehnumas!
The focal leitmotif of the novel Oh, These Rehnumas! is to bring out the representative voices o
Aadhunik Hindi Gadya Sahitya Ka Vikas Aur Vishleshan
प्रख्यात आलोचक विजय मोहन ङ्क्षसह की
Kaatna Shami Ka Vriksha Padma-Pankhuri Ki Dhar Se
काटना शमी का वृक्ष पद्मपखुरी की धार स