Achchha To Tum Yahan Ho
view cart- 0 customer review
Achchha To Tum Yahan Ho
Number of Pages : 128
Published In : 2017
Available In : Hardbound
ISBN : 978-93-263-5569-8
Author: Rajendra Chandrakant Rai
Overview
राजेन्द्र चन्द्रकान्त राय ने मेरा ध्यान पहले-पहल तब आकृष्ïट किया था, जब मैंने कई साल पहले उनकी पर्यावरण की चिन्ता को लेकर लिखी गयी एक कहानी 'तीसरा खत’पढ़ी थी। फिर तो उनका लिखा हुआ ढूँढ-ढूँढ कर पढ़ता रहा। वे अपनी कलम और गतिविधियों से चिन्ताओं और सरोकारों के फलक के व्यापक होने का प्रमाण देते रहे हैं। राजेन्द्र करीने के कथाकार हैं। जन और जीवन से उन्हें गहरा लगाव है और वे कहानियों का 'कंटेंट’इर्द-गिर्द घट रही घटनाओं में तलाशते हैं। उनकी कलम बदी की मुखालिफ और नेकी की हिमायती है। मानवीय रिश्तों और मनुष्यत्व की गरिमा में उनका गहरा यकीन है। लोक के वृत्त में रहते हुए चीज़ों का संधान करने की कला उनके पास है और उनका यह हुनर उनकी कहानियों में बखूबी झलकता है। चाहे 'अच्छा तो तुम यहाँ हो’के स्त्री-पुरुष हों या 'जयहिन्द’के कलेक्टर या कमांडर अथवा 'पाइपर माउस’का नायक चूहा, वे हमें बेहद अपने लगते हैं, हमारे अपने बीच के परिचित और जाने-पहचाने। राजेन्द्र घटनाओं और संवादों की लटों से कहानी को बहुत जतन से गूँथते हैं। उनकी भाषा उनका साथ देती है। वे कहीं लडख़ड़ाते नहीं और न ही हड़बड़ी में भागते दीखते हैं। सधी हुई चाल। न प्रकंप, न उतावलापन। वे तनाव और लगाव दोनों को बहुत सलीके से व्यक्त करते हैं। वे अपनी ओर से नहीं बोलते, बल्कि वाकये और किरदार बोलते हैं।
Price Rs 500/-
Rates Are Subjected To Change Without Prior Information.
Add a Review
Your Rating
You May also like this
Oh, These Rehnumas!
The focal leitmotif of the novel Oh, These Rehnumas! is to bring out the representative voices o
Aadhunik Hindi Gadya Sahitya Ka Vikas Aur Vishleshan
प्रख्यात आलोचक विजय मोहन ङ्क्षसह की
Kaatna Shami Ka Vriksha Padma-Pankhuri Ki Dhar Se
काटना शमी का वृक्ष पद्मपखुरी की धार स