Aakhet
view cart- 0 customer review
Aakhet
Number of Pages : 168
Published In : 2011
Available In : Hardbound
ISBN : 978-81-263-1776-9
Author: Gyanprakash Vivek
Overview
आखेट उपन्यास एक बेरोज़गार युवक चेतन के घर परिवार, जीवन-संघर्ष, महत्त्वाकांक्षा, सपने, प्रेम, दोस्ती, तनाव, अकेलापन तथा उपेक्षाओं से लडऩे और ता$कत हासिल करने की कथा है। अम्बाला छावनी की जिस इंश्योरेंस कम्पनी में चेतन (रीजनल फआस दिल्ली से) नियुक्ति पत्र लेकर जाता है, वहाँ का भ्रष्टï और ता$कतवर तन्त्र उसे आउटसाइडर की तरह उपेक्षित और प्रताडि़त करता है। लेकिन चेतन... ऐसे तनावपूर्ण और $खौ$फज़दा माहौल में भी जीवन राग को ढूँढऩे का प्रयास करता रहता है। कम्पनी की बाहरी भव्यता के पस:मंज़र संशय का वातावरण है। कार्यालय के शिखर पुरुष, कायर और भ्रष्टï हैं। वे खुद को बचाने तथा दूसरे को गिराने का खेल खेलते रहते हैं— किसी आखेट की तरह। यह ‘इन डोर गेम’ किसी रूपक की तरह है जो हमारे समाज, सियासत और सम्बन्धों में, किसी न किसी रूप में मौजूद है। शायद इसलिए कि संसार में तुच्छताओं का अपना प्रतिसंसार है।
Price Rs 150/-
Rates Are Subjected To Change Without Prior Information.
Add a Review
Your Rating
You May also like this
Oh, These Rehnumas!
The focal leitmotif of the novel Oh, These Rehnumas! is to bring out the representative voices o
Aadhunik Hindi Gadya Sahitya Ka Vikas Aur Vishleshan
प्रख्यात आलोचक विजय मोहन ङ्क्षसह की
Kaatna Shami Ka Vriksha Padma-Pankhuri Ki Dhar Se
काटना शमी का वृक्ष पद्मपखुरी की धार स