Nirmala

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Nirmala

Number of Pages : 124
Published In : 2016
Available In : Paperback
ISBN : 9789326351270
Author: Premchand

Overview

आधुनिक हिन्दी के निर्माताओं और उन्नायकों का संक्षिप्त मूल्यांकन है 'हिन्दी के निर्माता’। ये सर्जक, मनीषी, भाषाकर्मी अपने समय में हिन्दी रका स्वाभिमान बने। हिन्दी भाषा और साहित्य की समृद्धि में इनका अवदान अत्यन्त महत्त्वपूर्ण रहा है। इनमें से कई ने खड़ी बोली के विकास में हिन्दी और नागरी लिपि के अस्तित्व की लड़ाई लड़ी, और हिन्दी भाषा तथा साहित्य को तद्युगीन अराजकता से उबारकर एक निश्चित दिशा दी। यह पुस्तक ऐसे ही संघर्षशील व्यक्तित्वों के अवदान को रेखांकित करती है। 'हिन्दी के निर्माता’ में केवल हिन्दी की सृजनशीलता के प्रतिनिधि रचनाकार ही नहीं, बल्कि हिन्दी में नवोदय लाने वाले ऐसे लेखक भी हैं जिन्होंने साहित्य और उसकी चेतना को नयी सक्रियता दी है। यहाँ ऐसे विशिष्ट रचनाकार भी हैं, जिन्होंने हिन्दीतर-भाषी होते हुए भी, लेखन के विविध धरातलों पर युगीन सत्य से उपजा महान साहित्य उपलब्ध कराया; ऐसे पत्रकार भी हैं जिन्होंने राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और साहित्यिक परम्परा के बीच हिन्दी की जीवन्त और प्रखर पत्रकारिता का इतिहास रचा।

Price     Rs 70/-

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आधुनिक हिन्दी के निर्माताओं और उन्नायकों का संक्षिप्त मूल्यांकन है 'हिन्दी के निर्माता’। ये सर्जक, मनीषी, भाषाकर्मी अपने समय में हिन्दी रका स्वाभिमान बने। हिन्दी भाषा और साहित्य की समृद्धि में इनका अवदान अत्यन्त महत्त्वपूर्ण रहा है। इनमें से कई ने खड़ी बोली के विकास में हिन्दी और नागरी लिपि के अस्तित्व की लड़ाई लड़ी, और हिन्दी भाषा तथा साहित्य को तद्युगीन अराजकता से उबारकर एक निश्चित दिशा दी। यह पुस्तक ऐसे ही संघर्षशील व्यक्तित्वों के अवदान को रेखांकित करती है। 'हिन्दी के निर्माता’ में केवल हिन्दी की सृजनशीलता के प्रतिनिधि रचनाकार ही नहीं, बल्कि हिन्दी में नवोदय लाने वाले ऐसे लेखक भी हैं जिन्होंने साहित्य और उसकी चेतना को नयी सक्रियता दी है। यहाँ ऐसे विशिष्ट रचनाकार भी हैं, जिन्होंने हिन्दीतर-भाषी होते हुए भी, लेखन के विविध धरातलों पर युगीन सत्य से उपजा महान साहित्य उपलब्ध कराया; ऐसे पत्रकार भी हैं जिन्होंने राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और साहित्यिक परम्परा के बीच हिन्दी की जीवन्त और प्रखर पत्रकारिता का इतिहास रचा।
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