Kaale Adhyaay
view cart- 0 customer review
Kaale Adhyaay
Number of Pages : 180
Published In : 2015
Available In : Hardbound
ISBN : 978-93-263-5304-5
Author: Manoj Rupda
Overview
(मुक्ति का सीधा-सरल रास्ता अख्तियार नहीं) मनोज रूपड़ा समकालीन कहानी के विशिष्ट हस्ताक्षर हैं। उनमें कहानी कहने की अपूर्व क्षमता है। 'काले अध्याय’ में उनके जीवन के संस्मरण हैं, जिसे उन्होंने बचपन से लेकर हमउम्र की छोटी-छोटी घटनाओं को बारीकी से सहेजा है। कहानी सेइतर जो वे कह नहीं पाये हैं, उसकी यहाँ जीवन्त और सशक्त अभिव्यक्ति है। मगर यहाँ भी कथा का ही विस्तार है, जहाँ उनकी चेतना अपने तईं भीतर-बाहर से जुड़कर एक अनूठा कथा-संसार रचती है। मनोज रूपड़ा बेचैन कथाकार हैं और यह बेचैनी यहाँ भी देखी जा सकती हैं। उनके कथा सूत्र सामान्य जीवन के हैं मगर इतने सघन और गहरे हैं कि उन पर एक बड़ा कैनवास बुनते हैं और जीवन-विस्तार में ठहरे हुए पलों को एक बेहतरीन लिबास देते हैं। 'काले अध्याय’ उज्जवलतर जीवन का उघड़ा हुआ सच है, जो पाठक के भीतर सर्जनात्मकता की लहर सी पैदा करता है। नि:संदेह यह एक पठ्नीय कृति बन पड़ी है, जहाँ इकहरे जीवन से मुक्ति का सीधा सरल रास्ता अख्तियार नहीं करती।
Price Rs 240/-
Rates Are Subjected To Change Without Prior Information.
Add a Review
Your Rating
You May also like this
Oh, These Rehnumas!
The focal leitmotif of the novel Oh, These Rehnumas! is to bring out the representative voices o
Aadhunik Hindi Gadya Sahitya Ka Vikas Aur Vishleshan
प्रख्यात आलोचक विजय मोहन ङ्क्षसह की
Kaatna Shami Ka Vriksha Padma-Pankhuri Ki Dhar Se
काटना शमी का वृक्ष पद्मपखुरी की धार स