Sultan Raziya

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Sultan Raziya

Number of Pages : 670
Published In : 2016
Available In : Hardbound
ISBN : 978-81-263-3042-3
Author: Mewaram

Overview

रजि़या सुल्तान इल्तुतमिश की बेटी—एक ऐसी महिला शासिका थी, जिसके बारे में उसके पिता ने स्वयं कहा था—राजकार्य का भारी बोढ मेरे पुत्र नहीं सँभाल सकेंगे। इस गुरुतर कार्य को करने की योग्यता उनमें नहीं है। वे आराम-तलब और विषयी हैं। रजि़या में वीरपुरुषों के समस्त गुण विद्यमान हैं। मेरी समझ से वह राजकार्य अच्छी तरह सँभालेगी। रजि़या अमीरों और मलिकों के सहयोग से नहीं, जनता के सहयोग से गद्दी पर बैठी। उसने राजकार्य सुचारुरूप से चलाने के लिए पर्दा-प्रथा त्यागकर मर्दाना वेष धारण किया। वह वीर, कर्मठ, साहसी, धैर्यवान, ईमानदार, न्यायप्रिय, उदार और शिक्षा की पोषक रही। तत्कालीन इतिहास-लेखक मिनहाज सिराज़ का मत है—रजि़या महान समाग्रज्ञी, राजनीतिक-विशारद, न्यायप्रिय, प्रजावत्सल और कुशल सेनानेत्री थी।

Price     Rs 700/-

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रजि़या सुल्तान इल्तुतमिश की बेटी—एक ऐसी महिला शासिका थी, जिसके बारे में उसके पिता ने स्वयं कहा था—राजकार्य का भारी बोढ मेरे पुत्र नहीं सँभाल सकेंगे। इस गुरुतर कार्य को करने की योग्यता उनमें नहीं है। वे आराम-तलब और विषयी हैं। रजि़या में वीरपुरुषों के समस्त गुण विद्यमान हैं। मेरी समझ से वह राजकार्य अच्छी तरह सँभालेगी। रजि़या अमीरों और मलिकों के सहयोग से नहीं, जनता के सहयोग से गद्दी पर बैठी। उसने राजकार्य सुचारुरूप से चलाने के लिए पर्दा-प्रथा त्यागकर मर्दाना वेष धारण किया। वह वीर, कर्मठ, साहसी, धैर्यवान, ईमानदार, न्यायप्रिय, उदार और शिक्षा की पोषक रही। तत्कालीन इतिहास-लेखक मिनहाज सिराज़ का मत है—रजि़या महान समाग्रज्ञी, राजनीतिक-विशारद, न्यायप्रिय, प्रजावत्सल और कुशल सेनानेत्री थी।
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