Durgadas
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Durgadas
Number of Pages : 92
Published In : 2013
Available In : Hardbound
ISBN : 978-93-263-5213-0
Author: Premchand
Overview
‘दुर्गादास’ उपन्यास-सम्राट् प्रेमचन्द का एक ऐतिहासिक उपन्यास है। यह मूलत: उर्दू लिपि में लिखा गया था जिसे हिन्दी में लिप्यन्तरण करके बाद में सन् 1915 में प्रकाशित किया गया। इसमें एक राष्ट्रप्रेमी, साहसी राजपूत दुर्गादास के संघर्षपूर्ण जीवन की कहानी है। स्वयं प्रेमचन्द के शब्दों में— ‘‘राजपूताना में बड़े-बड़े शूर-वीर हो गये हैं। उस मरुभूमि ने कितने ही नर-रत्नों को जन्म दिया है; पर वीर दुर्गादास अपने अनुपम आत्म-त्याग, अपनी नि:स्वार्थ सेवा-भक्ति और अपने उज्ज्वल चरित्र के लिए कोहनूर के समान हैं। औरों में शौर्य के साथ कहीं-कहीं हिंसा और द्वेष का भाव भी पाया जाएगा, कीर्ति का मोह भी होगा, अभिमान भी होगा; पर दुर्गादास शूर होकर भी साधु पुरुष थे।’’ लेखन-काल के अनुसार, ‘दुर्गादास’ उपन्यास का यह शताब्दी वर्ष है। इस उपन्यास में प्रेमचन्द की रचनाशीलता के प्रारम्भिक किन्तु महत्त्वपूर्ण तत्त्व समाहित हैं। भारतीय ज्ञानपीठ की ओर से प्रस्तुत है हिन्दी कथा साहित्य के पाठकों और शोधार्थियों के लिए एक दुर्लभ कृति—‘दुर्गादास’।
Price Rs 100
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