Aur Fir
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Aur Fir
Number of Pages : 284
Published In : 2017
Available In : Hardbound
ISBN : 978-93-263-5558-2
Author: RadhaVallabh Tripathi
Overview
'और फिर’ मौलिक संस्कृत उपन्यास 'अन्यच्च’ का अनुवाद है। यह उपन्यास, 2011 में संस्कृत भारती, दिल्ली से प्रकाशित होकर विद्वत्समाज व सुधी समीक्षकों के बीच चर्चित रहा है। राजस्थान संस्कृत अकादमी के द्वारा इसे संस्कृत के श्रेष्ठ उपन्यास के रूप में अम्बिकादत्त व्यास पुरस्कार दिया गया। जयपुर में इस उपन्यास पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ तथा इस पर दयानन्द भार्गव, कलानाथ शास्त्री, पुष्पा दीक्षित और रमाकान्त पांडेय आदि संस्कृत के मूर्धन्य विद्वानों व समीक्षकों ने समीक्षाएँ व लेख लिखे। इनमें से कुछ समीक्षाएँ या लेख रमाकान्त पांडेय द्वारा सम्पादित पुस्तक 'राधावल्लभ की सारस्वत साधना’ तथा कुसुम भूरिता दत्ता द्वारा सम्पादित पुस्तक 'संस्कृत के अभिनव रचनाधर्मी—आचार्य राधावल्लभ त्रिपाठी’ में देखे जा सकते हैं। विश्वविद्यालयों में अन्यच्च उपन्यास पर शोध कार्य भी आरम्भ किये गये। इस उपन्यास के हिन्दी अनुवाद की माँग को देखते हुए इसका अनुवाद करना आरम्भ किया। सोचा था कि शब्दश: अविकल अनुवाद ही करूँगा। कुछ और सँवार कर प्रस्तुत करने का लोभ उसके मन में आ जाता है।
Price Rs 480/-
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