Apradhi
view cart- 0 customer review
Apradhi
Number of Pages : 196
Published In : 2018
Available In : Hardbound
ISBN : 978-93-87919-14-3
Author: Kapil Isapuri
Overview
जीवन, प्रेम, संघर्ष और फिर जीवन का चक्र किस हद तकहमें प्रभावित कर सकते हैं, इसे जानने के लिए 'अपराधीÓ उपन्यास पढ़ा जाना चाहिए। एक व्यक्ति का जीवन किस तरह से तथा किस हद तक अव्याख्येय हो सकता है, इसे देखना हो तो इस उपन्यास को जरूर पढऩा चाहिए। लेखक ने नौशीद और शिवेन्द्र के माध्यम से न सिर्फ दो अलग-अलग समुदायों के युवा वर्ग की बदलती सोच और आपसी तालमेल दिखा कर सामाजिक समरसता की बात की है बल्कि उनकेे जीवन में आयी विषम परिस्थितियों के बीच उनकी हालातों से लडऩे की जिजिविषा और उससे जीत हासिल करने का विश्वास ही है जो उनके जीवन में फिर से खुशियाँ लाता है। नौशीद जहाँ एक सुशिक्षित, सुसंस्कारित आत्मनिर्भर युवती है तो शिवेन्द्र नयी सोच वाला ऐसा युवक जो चाहता तो विदेश में भी अपनी कैरियर को बुलिन्दयों के शिखर पर ले जाता, लेकिन उसने देश में ही रहकर यहाँ की प्राकृतिक सम्पदा और जल-जंगल-जमीन के संघर्ष में शामिल समाजसेवियों के साथ काम करना चुना। विषम परिस्थितियों में भी जिस मजबूती के साथ नौशीद शिवेन्द्र केे साथ खड़ी दिखती है वह नये जमाने के स्त्री सशक्तिकरण की मिशाल की तरह है। इस उपन्यास में बहुत ही सामान्य भाषा और सहज-सरल कथा-विन्यास विद्यमान है जो पाठकों को अन्त तक बाँधे रखने में सफल रहा है। इसका साहित्य जगत में खुले मन से स्वागत किया जाना चाहिए।
Price Rs 400/-
Rates Are Subjected To Change Without Prior Information.
Add a Review
Your Rating
You May also like this
Oh, These Rehnumas!
The focal leitmotif of the novel Oh, These Rehnumas! is to bring out the representative voices o
Aadhunik Hindi Gadya Sahitya Ka Vikas Aur Vishleshan
प्रख्यात आलोचक विजय मोहन ङ्क्षसह की
Kaatna Shami Ka Vriksha Padma-Pankhuri Ki Dhar Se
काटना शमी का वृक्ष पद्मपखुरी की धार स