Ihamrig
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Ihamrig
Number of Pages : 180
Published In : 2012
Available In : Hardbound
ISBN : 978-81-263-4011-8
Author: Neerja Madhav
Overview
‘ईहामृग’ नीरजा माधव का एक विशिष्ट उपन्यास है। उपन्यास के केन्द्र में है तथागत गौतम बुद्ध की दिव्य ऊर्जा से आप्लावित सारनाथ। यहाँ की पुण्यभूमि से बुद्ध ने ज्ञान की एक ऐसी अजस्र धारा प्रवाहित की जो आज विश्व के कोने-कोने में पहुँच चुकी है। यह है सारनाथ का अतीत। सारनाथ समय के अनवरत हस्तक्षेप से आज एक दूसरा रूप भी ले चुका है। वर्तमान में सारनाथ वैश्विक विसंगतियों का एक छोटा-सा प्रतीक बन चुका है। यहाँ धर्म है, धर्म-द्वन्द्व भी है, शोषण और गरीबी की मार झेलता निम्न वर्ग है तो सेवा और समर्पण का बोर्ड टाँगे स्वयंसेवी संस्थाएँ भी हैं जिसकी आड़ में धार्मिक कट्टरता और लुक-छिप धर्मान्तरण का खेल भी चलता रहता है। स्त्री-अस्मिता और मुक्ति के सवाल भी ज्ञान के इस क्षेत्र में व्यंग्य से मुस्कराते मिल जाते हैं। फिर भी शान्ति की खोज में अनेक देशों से लोग यहाँ आते हैं, आते रहेंगे। शान्ति का प्रश्न, अहिंसा की बातें, शोषण और गरीबी के खिलाफ नारे लगते रहते हैं, प्रेम और करुणा के प्रसार की इस भूमि पर हर शाम गूँजती है धम्म-देशना बौद्ध मन्दिरों से। आन्दोलित होती है यहाँ की हवा धर्मघंटे की गूँज से लेकिन सम्पूर्ण विश्व की भाँति शान्ति ईहामृग की तरह अलभ्य होती जा रही है यहाँ भी। एक कथायुक्ति निकालकर भिक्खु एम. अलभ्यानन्द के माध्यम से नीरजा माधव ने वर्तमान के सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश का रोचक वृत्तान्त प्रस्तुत किया है। गौरी, मधुसूदन, फुलझड़ी आदि अनेक चरित्र इस कृति को गतिशील करते हैं। भावानुगामिनी भाषा और सहज शैली ‘ईहामृग’ को उल्लेखनीय उपन्यास के रूप में रेखांकित करती है।
Price Rs 180/-
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