Suvarnalata

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Suvarnalata

Number of Pages : 464
Published In : 2010
Available In : Hardbound
ISBN : 81-263-0713-7
Author: Ashapurna Devi

Overview

बांग्ला कथा साहित्य की कालजयी रचनाकार श्रीमती आशापूर्णा देवी की लेखनी से सृजित उपन्यास 'सुवर्णलता' अपनी कथा-वस्तु और शैली-शिल्प में इतना अदभुत है कि पढ़ना प्रारंभ करने के बाद इसे छोड़ पाना कठिन है उपन्यास समाप्त करने के बाद भी इसके पात्र-- सुवर्णलता और सुवर्णलता के जीवन तथा परिवेश से सम्बद्ध पात्र - मन पर छाये रहते है क्योकि ये सब इतने जीते-जागते चरित्र हैं इनके कार्यकलाप, मनोभाव, रहन-सहन, बातचीत सब कुछ इतना सहज, स्वाभाविक है और मानव-मन के घात-प्रतिघात इतने मनोवैज्ञानिक हैं की पाठक को वे अपने ही प्रतीत होते हैं निःसंदेह इस उपन्यास में लेखिका का दृष्टिकोण एक बहुआयामी विद्रोहिणी का नज़र आता हैं.

Price     Rs 350/-

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बांग्ला कथा साहित्य की कालजयी रचनाकार श्रीमती आशापूर्णा देवी की लेखनी से सृजित उपन्यास 'सुवर्णलता' अपनी कथा-वस्तु और शैली-शिल्प में इतना अदभुत है कि पढ़ना प्रारंभ करने के बाद इसे छोड़ पाना कठिन है उपन्यास समाप्त करने के बाद भी इसके पात्र-- सुवर्णलता और सुवर्णलता के जीवन तथा परिवेश से सम्बद्ध पात्र - मन पर छाये रहते है क्योकि ये सब इतने जीते-जागते चरित्र हैं इनके कार्यकलाप, मनोभाव, रहन-सहन, बातचीत सब कुछ इतना सहज, स्वाभाविक है और मानव-मन के घात-प्रतिघात इतने मनोवैज्ञानिक हैं की पाठक को वे अपने ही प्रतीत होते हैं निःसंदेह इस उपन्यास में लेखिका का दृष्टिकोण एक बहुआयामी विद्रोहिणी का नज़र आता हैं.
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